गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को पांच करोड़ नौ लाख रुपये का भुगतान करेंगे भूपेश बघेल - AWAM AUR KHABAR

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गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को पांच करोड़ नौ लाख रुपये का भुगतान करेंगे भूपेश बघेल

 

गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को पांच करोड़ नौ लाख रुपये का भुगतान करेंगे भूपेश बघेल




फिलहाल राज्य के 72 गोठानों में स्व-सहायता समूहों द्वारा गोमूत्र की खरीदी पुशपालकों से की जा रही है। अब तक 21,492 लीटर गोमूत्र की खरीदी की जा चुकी है, जिससे महिला समूहों ने 5160 लीटर ब्रम्हास्त्र कीटनाशक व 6582 लीटर जीवामृत तैयार किया है। किसान इसे खेती में उपयोग के लिए क्रय कर रहे हैं। महिला समूहों द्वारा अब तक लगभग ढाई लाख रुपये के गोमूत्र की कीटनाशक ब्रम्हास्त्र व जीवामृत की बिक्री की जा चुकी है। 




छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) पांच सितंबर को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गोठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को पांच करोड़ नौ लाख रुपये की राशि आनलाइन जारी करेंगे। जिसमें 15 अगस्त से 31 अगस्त तक राज्य के गोठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किए गए 1.34 लाख क्विंटल गोबर के एवज में 2.69 करोड़ रुपये भुगतान, गोठान समितियों को 1.48 करोड़ और महिला समूहों को 93 लाख रुपये की लाभांश राशि शामिल हैं। गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में अब तक हितग्राहियों को 335 करोड़ 24 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है, जिसमें 18 करोड़ रुपये की बोनस राशि भी शामिल है। पांच सितंबर को 5.09 करोड़ के भुगतान के बाद यह आंकड़ा 340 करोड़ 35 लाख रुपये हो जाएगा।

दो रुपये किलो खरीदा जा रहा है गोबर 

गोधन न्याय योजना देश-दुनिया की इकलौती ऐसी योजना है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ के गोठानों में दो रुपये किलो की दर से गोबर तथा चार रुपये लीटर की दर से गोमूत्र की खरीदी की जा रही है। गोठानों में 15 अगस्त तक खरीदे गए 79.12 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीणों को 158.24 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है। पांच सितंबर को गोबर विक्रेताओं को 2.69 करोड़ रुपये का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 160.94 करोड़ रुपये हो जाएगा। गोठान समितियों व महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 154.02 करोड़ रुपये राशि की भुगतान किया जा चुका है। गोठान समितियों तथा स्व-सहायता समूह को पांच सितंबर को 2.40 करोड़ रुपये के भुगतान के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 156.42 करोड़ रुपये हो जाएगा।

गोठानों में महिला समूहों द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय गोबर से बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस व अन्य उत्पाद तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा 17.57 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 5.28 लाख क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद का निर्माण किया जा चुका है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रुपये, छह रुपये तथा 6.50 रुपये प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है। महिला समूह गोबर से खाद के अलावा गो-कास्ट, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां व अन्य सामग्री का निर्माण व विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं। गोठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी व मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन व पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 80.30 करोड़ रुपये की आय हो चुकी हैं। राज्य में गोठानों से 11,187 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 83,874 है। गोठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है।

ल्लेखनीय है कि गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की शुरुआत भी रायपुर के हीरापुर-जरवाय गोठान में हो चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गोठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से कृषि व वनोपज आधारित प्रसंस्करण इकाइयां, गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण के लिए यूनिटें स्थापित की जा रही हैं। 227 गोठानों में तेल मिल तथा 292 गोठानों में दाल मिल सहित मिनी राइस मिल व अन्य प्रकार यूनिटें स्थापित किए जाने का काम तेजी से जारी है।

राज्य में गोधन के संरक्षण और सर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गोठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार व चारे-पानी का निःशुल्क बेहतर प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,624 गांवों में गोठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 8408 गौठान निर्मित व 1758 गोठान निर्माणाधीन है। स्वावलंबी गोठानों ने अब तक स्वयं की राशि से 18.24 करोड़ रुपये का गोबर क्रय किया है। गोधन न्याय योजना से दो लाख 52 हजार से अधिक ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.90 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। इस योजना से एक लाख 48 हजार से अधिक भूमिहीन परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।

फिलहाल राज्य के 72 गोठानों में स्व-सहायता समूहों द्वारा गोमूत्र की खरीदी पुशपालकों से की जा रही है। अब तक 21,492 लीटर गोमूत्र की खरीदी की जा चुकी है, जिससे महिला समूहों ने 5160 लीटर ब्रम्हास्त्र कीटनाशक व 6582 लीटर जीवामृत तैयार किया है। किसान इसे खेती में उपयोग के लिए क्रय कर रहे हैं। महिला समूहों द्वारा अब तक लगभग ढाई लाख रुपये के गोमूत्र की कीटनाशक ब्रम्हास्त्र व जीवामृत की बिक्री की जा चुकी है। 








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