नई दिल्ली,  आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के राज्यपाल के पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र मंजूरी न देने वाले फैसले पर सवाल उठाए हैं। बुधवार शाम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि लोकतंत्र खत्म हो गया है। उन्होंने ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए गए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं। लोकतंत्र खत्म हो गया है। दो दिन पहले ही राज्यपाल ने सत्र की अनुमति दी थी। जब ऑपरेशन लोटस विफल होने लगा और नंबर पूरा नहीं हुआ, तो एक कॉल ऊपर से आए और अनुमति वापस लेने को कहा।'

पंजाब में आम आदमी पार्टी को लगा था बड़ा झटका

मालूम हो कि पंजाब के राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने भगवंत मान सरकार की ओर बुलाए पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र मंजूरी नहीं दी है। भगवंत मान सरकार ने यह सत्र विश्‍वास मत पेश करने के लिए बुलाया था। विधानसभा का यह सत्र 22 सितंबर को होना था। उधर राज्‍यपाल के कदम पर मुख्‍यमंत्री भगवंत मान ने सवाल उठाए हैं। आप के राज्‍यसभा सदस्‍य राघव चड्ढा ने कहा है कि राज्‍यपाल कैबिनेट की सिफारिश को मानने को बाध्‍य हैं।

भगवंत मान ने भी उठाए सवाल

पंजाब के मुख्य्मंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा है कि राज्यपाल की ओर से विधानसभा न चलने देना देश के लोकतंत्र पर बड़े सवाल पैदा करता है। अब लोकतंत्र को करोड़ों लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि चलाएंगे या दिल्ली की केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया हुआ व्यक्ति। एक ओर भीम राव अंबेडकर जी का संविधान और दूसरी तरफ ऑपरेशन लोटस है। जनता सब देख रही है।

राघव चड्ढ़ा बोले राज्‍यपाल कैबिनेट की सिफारिशें मानने को बाध्‍य

पंजाब से राज्यसभा सदस्य राघव चड्डा ने ट्वीट करके कहा है कि राज्यपाल कैबिनेट की सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य हैं। संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली में यदि राज्यपाल अपने फैसले लागू करने लगेंगे तो काम रुक जाएगा। जैसा कि विधान सभा का सत्र बुलाना। बता दें कि आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से उसके कई विधायकों को खरीदने की कोशिश हो रही है। इसी के मद्देनजर भगवंत मान सरकार ने फिर से पंजाब विधानसभा में विश्‍वास मत हासिल करने का फैसला किया था।

20 सितंबर को दी थी मंजूरी

मालूम हो कि 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने 20 सितंबर को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद विपक्ष की ओर से राज्यपाल को लिखे पत्र के बाद उन्‍होंने इस संबंध में कानूनी राय ली। इसके बाद बुधवार शाम विशेष सत्र के लिए दी गई मंजूरी वापस ले ली गई। राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित के आदेश में कहा गया है कि सरकार को विश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार पंजाब विधानसभा की नियमावली में नहीं है। इसलिए जो मंजूरी 20 सितंबर को दी गई थी उसे वापस लिया जाता है।

आप ने विधायकों को खरीदने का लगाया था आरोप

बता दें कि पिछले दिनों आम आदमी पार्टी की ओर से आरोप लगाया गया था कि राज्‍य में भारतीय जनता पार्टी आप के विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है ताकि भगवंत मान सरकार को गिराया जा सके। इसके लिए कई विधायकों को 25-25 करोड़ रुपये का आफर देने का आरोप लगाया गया। इसके बाद राज्‍य की सियासत में हंगामा हो गया। आप ने इसके बाद 22 सितंबर को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इसमें विश्‍वास मत प्राप्‍त करने का फैसला किया। इस पर विपक्षी दल कांग्रेस व शिअद ने सवाल उठाया। विपक्षी विधायकों ने इस संबंध में राज्‍यपाल से मुलाकात कर इस तरह का कोई प्रविधान न होने की बात उठाई और सत्र के आयोजन पर सवाल उठाया।