वक्त के साथ कमजोर हो रहा किसान मोर्चा, जान लाने के लिए एमएसपी के मुद्दे पर दोबारा आंदोलन की तैयारी - AWAM AUR KHABAR

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वक्त के साथ कमजोर हो रहा किसान मोर्चा, जान लाने के लिए एमएसपी के मुद्दे पर दोबारा आंदोलन की तैयारी

 

वक्त के साथ कमजोर हो रहा किसान मोर्चा, जान लाने के लिए एमएसपी के मुद्दे पर दोबारा आंदोलन की तैयारी









    







नई दिल्ली किसान आंदोलन स्थगित होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा कमजोर होता चला गया। मोर्चे की नौ सदस्यीय समन्वय समिति के सदस्य एक-एक करके संगठन का साथ छोड़ते चले गए। रविवार को स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक योगेंद्र यादव ने भी इस समिति से त्यागपत्र दे दिया, जिसके बाद अब इसमें मात्र चार सदस्य बचे हैं, इसलिए मोर्चा अब नए सिरे से संगठन को मजबूत करने में जुट गया है। रविवार को रकाबगंज गुरुद्वारे में मोर्चे की बैठक हुई, जिसमें संगठन को मजबूत करने के लिए संचालन समिति के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का निर्णय किया गया। इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मामले को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन तेज करने की घोषणा की गई

इस कारण दिया त्यागपत्र

योगेंद्र यादव के त्यागपत्र देने का कारण कांग्रेस के भारत जोड़ो आंदोलन में उनकी भूमिका के कारण व्यस्तता बढ़ना है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अवीक साहा को समिति में शामिल करने की सिफारिश की है। बैठक के बाद राष्ट्रीय संचालन समिति के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा कि एक 11 सदस्यीय प्रारूप समिति बनाई गई है, जो सभी राज्यों के विभिन्न किसान संगठनों से बातचीत कर समन्वय समिति में नए सदस्यों को शामिल करने के लिए किसान नेताओं के नाम सुझाएगी। समन्वय समिति में 25 सदस्य तक हो सकते हैं।

40 हजार मामले वापस लेने की मांग

मोल्लाह ने कहा कि पिछले साल नौ दिसंबर को केंद्र सरकार ने लिखित रूप से मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार ने वादाखिलाफी की, इसलिए मोर्चे की बैठक में एक मांग पत्र तैयार किया गया है, जिसमें एमएसपी को कानूनी अधिकार के साथ लागू करने की मांग की गई है। इसमें हाल ही में लाए गए बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने, लखीमपुर घटना के प्रभावितों को न्याय व क्षतिपूर्ति दिलाने और किसानों के खिलाफ दर्ज 40 हजार मामले वापस लेने की भी मांग है। इसके साथ ही संपूर्ण कर्ज माफी, फसल बीमा में सुधार करने व किसान पेंशन योजना शुरू करने की नई मांगें भी मांग पत्र में शामिल की गई हैं। इस मांग पत्र को लेकर मोर्चे के नेता 15 सितंबर से 25 नवंबर के बीच देशभर में ब्लाक स्तर पर किसानों के बीच जाएंगे। इसके बाद सभी सांसदों को यह मांग पत्र सौंपा जाएगा। 26 नवंबर को देशभर में कई बड़ी रैलियां की जाएंगी।

तीन अक्टूबर को मनाया जाएगा काला दिवस

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर घटना के एक साल पूरे हो रहे हैं। इसे लेकर उस दिन काला दिवस मनाया जाएगा और जिला व तहसील स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

नहीं है नाराजगी

योगेंद्र यादव ने कहा कि 'संगठन से किसी प्रकार की नाराजगी नहीं है। पिछले कुछ समय से महसूस हो रहा है कि किसान विरोधी मोदी सरकार का मुकाबला करने के लिए उन्हें जमीन पर चल रहे सभी जन आंदोलनों का हिस्सा बनना होगा। सरकार की नीतियों के खिलाफ खड़े विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को जोड़ने में वह अपनी शक्ति लगाएंगे। जय किसान आंदोलन का सदस्य होने के नाते मैं संयुक्त किसान मोर्चा का सिपाही बना रहूंगा



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