नई संसद के उद्घाटन पर मायावती ने लिया चौंकाने वाला फैसला, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर बड़ा दावा - AWAM AUR KHABAR

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नई संसद के उद्घाटन पर मायावती ने लिया चौंकाने वाला फैसला, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर बड़ा दावा

 

नई संसद के उद्घाटन पर मायावती ने लिया चौंकाने वा

ला फैसला, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर बड़ा दावा 



 बीएसपी चीफ मायावती ने कहा है कि अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है.

नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों द्वारा होना है. पीएम मोदी के द्वारा होने वाले उद्घाटन को लेकर ज्यादातर विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. विपक्षी नेताओं का कहना है कि उद्घाटन  नए संसद भवन का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के हाथों होना चाहिए. हालांकि इसी बीच बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने एक चौंकाने वाले फैसला लिया है. बीएसपी ने 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन का समर्थन किया है.

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा- "केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है."

इसके साथ ही मायावती ने ट्वीट कर लिखा- "राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित. सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है. इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित. यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था."

वहीं पूर्व सीएम मायावती ने ट्वीट कर लिखा- "देश को समर्पित होने वाले कार्यक्रम अर्थात नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें. किन्तु पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों सम्बंधी अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं उस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी."

हालांकि इससे पहले संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर कहा था कि "जहां सत्ता का अभिमान हो, विपक्ष का मान नहीं हो, ऐसी संसद के उद्घाटन में क्या जाना. जहां सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्घाटन में क्या जाना."



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