जबलपुर में बनेगा मध्य प्रदेश का पहला टैंक टेस्टिंग ट्रैक, यह है विशेषता
- सर्विसिंग के बाद ट्रैक में टैंक को चलाकर उसकी ट्रायल होगी।
- लगभग 1200 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित।
- प्रस्ताव एवीएनएल के माध्यम से रक्षा मंत्रालय को भेजने तैयारी।
- जबलपुर। प्रदेश का पहला टैंक टेस्टिंग ट्रैक जल्द ही जबलपुर में आकार लेगा। यह ट्रैक वाहन निर्माणी के परिसर के ठीक बाहर रेलवे लाइन के पास बनाया जाएगा जिसकी लंबाई लगभग छह किलोमीटर होगी। अभी देश में हैवी व्हीकल्स फैक्ट्री अवाडी के पास टैंक टेस्टिंग ट्रैक है। ज्ञात हो वाहन निर्माणी जबलपुर को सेना के टी-72 और टी-90 टैंक की सर्विसिंग का वर्क आर्डर प्राप्त हुआ है।
न्नई (तमिलनाडु) में विशेष प्रशिक्षण
वाहन निर्माणी की 150 सदस्यीय टीम को हैवी व्हीकल्स फैक्ट्री अवाडी, चेन्नई (तमिलनाडु) में विशेष प्रशिक्षण के लिए चुना गया है और चरणबद्ध ढंग से ये वहां प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं। यही टीम टैंक की सर्विसिंग का कार्य करेगी। ट्रैक के लिए वाहन निर्माणी जबलपुर ने प्रस्ताव तैयार किया है जिसे स्वीकृति के लिए आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड (एवीएनएल) के माध्यम से रक्षा मंत्रालय भेजा जा रहा है। ट्रैक के निर्माण में लगभग 1200 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है।
युध निर्माणी बोर्ड को सात पूर्ण स्वामित्व वाली सरकारी कार्पोरेट इकाई में परिवर्तित करने के सरकार के निर्णय के बाद जबलपुर की चार आयुध निर्माणी सहित देशभर की 41 निर्माणियों को सात इकाई में बांटा गया है। वीएफजे आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड (एवीएनएल) की एक इकाई है औ इसका मुख्यालय चेन्नई में है। एवीएनएल ही वीएफजे के लिए रीति-नीति तय करती है। वीएफजे ने ट्रैंक टेस्टिंग के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया है वह एवीएनएल मुख्यालय का रास्ता तय करते हुए रक्षा मंत्रालय दिल्ली तक पहुंचेगा। प्रस्तावित 1200 करोड़ रुपये के बजट प्रस्ताव में टैंक टेस्टिंग ट्रैक के साथ फैक्ट्री परिसर में टैंक के लिए विकसित अत्याधुनिक प्लांट पर व्यय राशि भी शामिल होगी।
वाडी में ही जबलपुर की टीम को प्रशिक्षण क्यों
हैवी व्हीकल्स फैक्ट्री अवाडी, चेन्नई (तमिलनाडु) भी एवीएनएल की एक महत्वपूर्ण इकाई है। चूंकि टैंक हैवी व्हीकल्स में शामिल है अत: अवाडी फैक्ट्री ही अब तक भारतीय सेना के लिए टैंक का उत्पादन और उसकी सर्विसिंग करती रही है। लेकिन अभी उसके पास टैंक के उत्पादन का कार्य ज्यादा है इसलिए अपनी सहयोगी इकाई वीएफजे को टैंक की सर्विसिंग का कार्य मिला। यही कारण है कि अवाडी की विशेषज्ञ टीम वीएफजे की टीम को चरणबद्ध ढंग से प्रशिक्षित कर रही है।
से समझें टैंक के टेस्टिंग ट्रैक को
सेना शांति काल में अभ्यास और युद्ध के समय दुश्मन पर हमले के लिए टैंक का इस्तेमाल दुर्गम और पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए हमले के लिए करती है। टैंक परिचालन पूरी तरह एक चैनल के माध्यम से होता है और यही चैनल टैंक को गति भी प्रदान करता है।
-ट्रैक बनाने का उद्देश्य टैंक की सर्विसिंग के बाद उसे ट्रैक पर चलाकर ट्रायल होगी।
-टैंक की अधिकतम गति 40 से 50 किमी होती है।
-युद्धक टैंक दुर्गम इलाके और पहाड़ी रास्ता तय करने में सक्षम होता है, अत: ट्रैक की इन्ही खूबियों को ध्यान रखकर बनाया जाएगा। यानी छह किमी रास्ता ऊबड़-खाबड़, रेतीला, कीचड़ भरा, थोड़ा पहाड़ी, समतल मैदान युक्त होगा।
-वीएफजे ने अभी टैंक टेस्टिंग ट्रैक के लिए छह किलोमीटर की जगह चिन्हित की है।
-पूर्व में वीएफजे में सैन्य ट्रकों की बड़ी खेप तैयार होने बाद रेल मार्ग से गतंव्य तक भेजी जाती थी, अब चूंकि रेल फैक्ट्री एक छोर से बाहर तक बंद पड़ा इस पर ही नया टैंक टेस्टिंग ट्रैक आकार लेगा, वीएफजे में बने सैन्य उपयोगी ट्रक रेल मार्ग की बजाय अब सड़क मार्ग से भेजे जाते हैं।