उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से इंडिया गठबंधन पर संकट के बादल मंडराते हुए दिख रहे हैं. जहां कांग्रेस यूपी उपचुनाव में गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ना चाहती है तो सपा भी इसके बदले में हरियाणा में अपनी राह बनाने में जुटी है. लेकिन, फिलहाल हरियाणा में दोनों के बीच कोई तालमेल होना मुश्किल दिख रहा है. हरियाणा कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव लड़ना चाहती है. ऐसे में इसका असर यूपी में भी देखने को मिल सकता है.
समाजवादी पार्टी हरियाणा में 10 से 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है. इस सिलसिले में पिछले दिनों में लखनऊ में सपा अध्यक्ष की हरियाणा सपा के पदाधिकारियों से भी बात हुई थी, जिसके बाद पार्टी ने फैसला लिया है कि अगर कांग्रेस से गठबंधन नहीं होता तो सपा अकेले उन सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जहां मुस्लिम और यादव वोट निर्णायक भूमिका में है. सपा चाहती है कि जैसे यूपी में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था. उसी तरह कांग्रेस दूसरे राज्यों में भी सपा को साथ लेकर चले.
इधर कांग्रेस यूपी में तो सपा के साथ चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन हरियाणा में सीटों का बंटवारा करने के मूड में नहीं है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जिन राज्यों में कांग्रेस की बीजेपी से सीधी टक्कर है वहां किसी दूसरे राजनीतिक दल के लिए रास्ता खोलना उचित नहीं होगा.
सपा नेता ने दिए संकेत
सपा प्रवक्ता मोहन यादव ने इस पर बात करते हुए कहा कि 'ये सारी बातें सपा-कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा, लेकिन अगर मैं पूर्व के चुनाव की बात करूं, तो आप सभी लोगों ने देखा था कि किस तरह से इसी तरह के बयान मध्य प्रदेश से आए थे। वहीं, स्थानीय नेताओं द्वारा दिए गए बयान को कांग्रेस ने आत्मसात भी कर लिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, इसलिए मैं सभी लोगों से आग्रह करूंगा कि वो किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले थोड़ा चिंतन-मंथन करें. इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचे.'
उन्होंने कहा, 'बात अगर हरियाणा के राजनीतिक समीकरण की करें, तो वहां कई ऐसी जगहें हैं, जहां समाजवादी पार्टी के लोग बड़ी संख्या में हैं. उनके पास सपा का कोई आधार नहीं है, इसलिए वे बीजेपी के खेमे में शामिल हो जाते हैं, लेकिन अब हमने इस समीकरण को बदलने का फैसला किया है.