राज्यसभा की 12 सीटों के लिए 3 सितंबर को उपचुनाव होना है. 9 राज्यों की इन 12 सीटों पर होने वाले ये चुनाव कांग्रेस और BJP के लिए काफी अहम हैं. राज्यसभा में अभी किसी के पास बहुमत नहीं है.
हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव से पहले राज्यसभा की 12 सीटों के लिए 3 सितंबर को उपचुनाव होना है. 9 राज्यों की इन 12 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
इन 12 सीटों पर कौन बाजी मारेगा, ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन इस बार इन 12 सीटों पर रोमांचक मुकाबला होने की बात कही जा रही है. किसी सीट पर कांग्रेस का तो किसी पर बीजेपी मजबूत नजर आ रही है. आइए जानते हैं राज्यसभा के उपचुनाव से जुड़ी हर जानकारी विस्तार से.
कहां-कहां खाली हैं ये सीटें?
महाराष्ट्र में राज्यसभा की 2 सीटें, बिहार में 2 सीटें, असम में 2 सीटें, त्रिपुरा में 1, हरियाणा में 1, राजस्थान में 1 और मध्य प्रदेश में 1, ओडिशा में 1 और तेलंगाना में 1 सीट खाली है.
इसलिए इन सीटों पर हो रहे उपचुनाव?
इन 12 खाली सीटों में 10 ऐसी हैं जो उच्च सदन के सदस्यों के लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद खाली हुईं, जबकि तेलंगाना और ओडिशा से एक-एक राज्यसभा सदस्य ने अपनी पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरी पार्टी जॉइन की इसलिए राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया.
कितनी पार्टियां हो सकती हैं मैदान में?
क्योंकि यह राज्यसभा चुनाव है इसलिए लोकसभा चुनाव की तरह इसमें उम्मीदवारों की संख्या बहुत अधिक नहीं होती है, लेकिन सभी सीटों पर 2-3 दल मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होगा, क्योंकि जहां-जहां उपचुनाव हैं, वहां ये दोनों अकेले या फिर गठबंधन करके सत्ता में हैं, इसलिए जब प्रत्याशी उतारा जाएगा, तो वो भी गठबंधन का ही होगा. इसलिए मेन मुकाबला दो दलों के बीच ही होगा.
इस उपचुनाव के बाद राज्यसभा में कैस बदलेगा गणित?
राज्यसभा में अभी बीजेपी के पास 86 सीटें हैं, जबकि सहयोगी दलों को मिलाकर देखें तो बीजेपी की अगुवाई वाली NDA के पास 101 सीटें हैं. राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है. फिलहाल 226 सांसद हैं. यहां बहुमत का आंकड़ा 114 है. अभी NDA बहुमत के आंकड़े से 13 सीटें पीछे है. ऐसे में इन 12 सीटों के नतीजे काफी अहम हैं. अगर बीजेपी को यहां सभी पर जीत मिल जाती है तो वह बहुमत के करीब होगी, जबकि कांग्रेस अगर 5-6 सीट पर भी जीत हासिल करती है तो वह बीजेपी को गठबंधन से दूर कर देगी. ऐसी स्थिति में बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के लिए किसी भी बिल को राज्यसभा में भी पास कराना मुश्किल ही होगा.
पहले इन 12 सीटों में क्या थी स्थिति?
अगर इन 12 सीटों पर पहले की स्थिति की बात करें तो बीजेपी सबसे आगे थी. उसके सात साज्यसभा सांसद थे. महाराष्ट्र की दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. बिहार में एक सीट पर बीजेपी तो एक सीट पर आरजेडी का कब्जा था. असम की दोनों ही सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. मध्य प्रदेश की 1 सीट पर बीजेपी, त्रिपुरा की एक सीट पर बीजेपी, हरियाणा की एक सीट पर कांग्रेस और राजस्थान की एक सीट पर भी कांग्रेस ने ही जीत दर्ज की थी. इसके अलावा तेलंगाना में हाल में के. केशव राव ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) छोड़कर कांग्रेस जॉइन किया था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया, जबकि ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) की सांसद ममता मोहंता ने बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद राज्यसभा सीट छोड़ दी थी.
मध्य प्रदेश और त्रिपुरा में बीजेपी मजबूत
राजनीतिक एक्सपर्ट बताते हैं कि बात लोकसभा चुनाव की हो या विधानसभा चुनाव की हो, जिस तरह से मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अब तक प्रदर्शन किया है, उससे साफ है कि यहां भी बीजेपी एकतरफा जीत दर्ज करते हुए एक सीट फिर से जीत दर्ज कर लेगी. इसके अलावा त्रिपुरा में भी बीजेपी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है.
असम में भी एकतरफा मुकाबले की बात
राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि बीजेपी असम में अभी काफी मजबूत स्थिति में नजर आती है. इसके अलावा पिछली बार भी दोनों सीटों पर उसी का कब्जा था. ऐसे में एक्सपर्ट कह रहे हैं कि इस बार भी असम की दोनों सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज कर सकती है.
राजस्थान में बीजेपी आगे
राजस्थान की एक सीट पर राज्यसभा के उपचुनाव होने हैं. इस सीट पर बीजेपी मजबूत बताई जा रही है. एक्सपर्ट बताते हैं कि पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी ने जिस तरह राजस्थान में प्रदर्शन किया है उससे बीजेपी एक बार फिर यहां जीत दर्ज कर सकती है.
महाराष्ट्र और बिहार में कड़ी टक्कर
महाराष्ट्र और बिहार की बात करें तो यहां कड़े मुकाबले की उम्मीद है. पिछली बार बिहार में एक सीट पर आरजेडी और एक पर बीजेपी को जीत मिली थी. इस बार भी काफी कड़ा मुकालब हो सकता है. वजह है विपक्षी दलों के पास भी पर्याप्त सीट होना.
ओडिशा में बीजेपी तो तेलंगाना में कांग्रेस को बढ़त
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने इस बार ओडिशा में बीजेडी को विधानसभा चुनाव में सत्ता से उखाड़ फेंका है. इस बार उसके पास नंबर ज्यादा हैं इसलिए ओडिशा में बीजेपी का पलड़ा भारी है. वहीं तेलंगाना की बात करें तो यहां रेवंत रेड्डी की अगुवाई में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. पार्टी के पास विधायकों की अच्छी संख्या है. एक्सपर्ट कहते हैं कि तेलंगाना में कांग्रेस बाजी मार सकती है.
हरियाणा में इसलिए सबसे कठिन मुकाबला
सभी राज्यों में से हरियाणा में ही सबसे कठि मुकाबला माना जा रहा है. दरअसल, 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में अब 87 सदस्य हैं. पार्टी के हिसाब से देखें तो भाजपा के पास 41 विधायक हैं. इनके अलावा दो विधायकों -निर्दलीय नयन पाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के गोपाल कांडा का भी भाजपा को समर्थन है. बीजेपी के पास कुल 44 विधायकों का समर्थन है.
वहीं विपक्ष पर नजर डालें तो उनके पास 43 विधायक हैं. इनमें कांग्रेस के पास 28 विधायक, जननायक जनता पार्टी (जजपा) के पास 10 और तीन निर्दलीय (रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान), चौथे निर्दलीय बलराज कुंडू और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अभय चौटाला शामिल हैं. तीन निर्दलीय रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान ने पहले सरकार को समर्थन दिया था लेकिन हाल ही में उन्होंने कांग्रेस का समर्थन कर दिया.