मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) में पहली बार सेंट्रल जेल में "इमोशनल इंटेलिजेंस सेशन" आयोजित किया गया. इसमें कैदियों ने अपने दिल की बात शेयर की साथ ही बताया कि कैसे भावनाओं में आकर उन्होंने अपराध कर दिए और अब उन्हें पछतावा हो रहा है. सेंट्रल जेल में गुरुवार (29 अगस्त) को पहली बार आयोजित इस सेशन को रिलेशनशिप कोच और इमोशनल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट विकास चौधरी ने लीड किया. इस "इमोशनल इंटेलिजेंस सेशन" में विकास चौधरी ने कैदियों को जीने की नई राह दिखाई. बता दें इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी के कारण भारत में हर साल लगभग 70% से 80% अपराध और पारिवारिक विवाद होते हैं. इस सेशन में कैदियों ने बताया कि अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न होने की वजह उन्होंने अपराध कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें जेल जाना पड़ा. कैदियों को अपने किए पर हो रहा पछतावा उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपने किए पर पछतावा हो रहा है और वह अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं. जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने कहा कि यह सेशन कैदियों की भावनात्मक और मानसिक सेहत को बेहतर बनाने के लिए उठाए गए कदमों का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इमोशनल इंटेलिजेंस एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो कैदियों को अपनी सजा काटने के बाद समाज में फिर से घुलने-मिलने में मदद कर सकती है. इमोशनल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट विकास चौधरी ने कहा कि इमोशनल मेच्योरिटी का मतलब सिर्फ अपनी भावनाओं को काबू में करना नहीं है, बल्कि उन्हें समझना, उनसे सीखना और उस समझ का उपयोग करके बेहतर फैसला लेना है. उन्होंने कैदियों को आत्म-जागरूकता, आत्म-नियंत्रण, सहानुभूति और सामाजिक कौशल के महत्व के बारे में भी बताया. बता दें विकास चौधरी पिछले आठ सालों से इमोशनल इंटेलिजेंस और रिलेशनशिप कोच के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. - AWAM AUR KHABAR

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मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) में पहली बार सेंट्रल जेल में "इमोशनल इंटेलिजेंस सेशन" आयोजित किया गया. इसमें कैदियों ने अपने दिल की बात शेयर की साथ ही बताया कि कैसे भावनाओं में आकर उन्होंने अपराध कर दिए और अब उन्हें पछतावा हो रहा है. सेंट्रल जेल में गुरुवार (29 अगस्त) को पहली बार आयोजित इस सेशन को रिलेशनशिप कोच और इमोशनल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट विकास चौधरी ने लीड किया. इस "इमोशनल इंटेलिजेंस सेशन" में विकास चौधरी ने कैदियों को जीने की नई राह दिखाई. बता दें इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी के कारण भारत में हर साल लगभग 70% से 80% अपराध और पारिवारिक विवाद होते हैं. इस सेशन में कैदियों ने बताया कि अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न होने की वजह उन्होंने अपराध कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें जेल जाना पड़ा. कैदियों को अपने किए पर हो रहा पछतावा उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपने किए पर पछतावा हो रहा है और वह अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं. जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने कहा कि यह सेशन कैदियों की भावनात्मक और मानसिक सेहत को बेहतर बनाने के लिए उठाए गए कदमों का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इमोशनल इंटेलिजेंस एक महत्वपूर्ण कौशल है, जो कैदियों को अपनी सजा काटने के बाद समाज में फिर से घुलने-मिलने में मदद कर सकती है. इमोशनल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट विकास चौधरी ने कहा कि इमोशनल मेच्योरिटी का मतलब सिर्फ अपनी भावनाओं को काबू में करना नहीं है, बल्कि उन्हें समझना, उनसे सीखना और उस समझ का उपयोग करके बेहतर फैसला लेना है. उन्होंने कैदियों को आत्म-जागरूकता, आत्म-नियंत्रण, सहानुभूति और सामाजिक कौशल के महत्व के बारे में भी बताया. बता दें विकास चौधरी पिछले आठ सालों से इमोशनल इंटेलिजेंस और रिलेशनशिप कोच के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.

 

महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत के बयान से महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आ गया है. तानाजी सावंत ने कहा कि कैबिनेट मीटिंग में जब वे अजित पवार के बगल में बैठते हैं तो उन्हें उल्टी आती है. उनकी इस टिप्पणी को लेकर शरद पवार पार्टी का भी बयान सामने आया है.

शरद पवार की पार्टी के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने कहा, "शिंदे सेना के नेता तानाजी सावंत का यह कहना कि कैबिनेट मीटिंग में अजित पवार के बगल में बैठने पर उन्हें उल्टी जैसा महसूस होता है, यह एक अलग तरह का अपमान है. इससे पता चलता है कि महायुति को अब उनकी (अजित पवार की) जरूरत नहीं है. मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि बीजेपी धीरे-धीरे अजित पवार को महायुति से बाहर कर दे. अजित पवार के लिए जागने का समय आ गया है."

तानाजी सावंत ने क्या कहा?
बता दें कि एकनाथ शिंदे सरकार में स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत का कहना है कि वह एनसीपी के नेता अजित पवार के साथ कैबिनेट में बैठते हैं, लेकिन बाहर आते ही उल्टी हो जाती है. सावंत ने आगे कहा कि 'मेरे जीवन में कभी भी मेरी एनसीपी के साथ नहीं बनी. हम एक-दूसरे के पास बैठते थे, लेकिन जब भी बाहर आता था तो उल्टी हो जाती थी. मैं एक पक्का शिवसैनिक हूं. एनसीपी के साथ पूरे जीवन मेरी नहीं बनी.

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