देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई को एक कंज्यूमर कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है. बैंकिंग फ्रॉड के एक मामले में कोर्ट ने एसबीआई को कहा है कि वह पीड़ित सीनियर सिटीजन ग्राहक को हर्जाने के रूप में 97 लाख रुपये का भुगतान करे.
60 लाख रुपये से ज्यादा का फ्रॉड
यह मामला हैदराबाद का है. एक सीनियर सिटीजन कपल ने एसबीआई में सेविंग अकाउंट व एफडी अकाउंट खुलवाया हुआ था. उनके सेविंग अकाउंट व एफडी अकाउंट में 60 लाख रुपये से ज्यादा पड़े हुए थे. उनके ड्राइवर ने किसी तरह दोनों अकाउंट से ट्रांजेक्शन का एक्सेस हासिल कर लिया. उसके बाद ड्राइवर ने अकाउंट को पूरा खाली कर दिया और भाग गया.
इस तरह एनसीडीआरसी के पास पहुंचा मामला
मामला संज्ञान में आते ही कस्टमर ने बैंक से संपर्क किया और ब्रांच मैनेजर के पास शिकायत की. बाद में उन्होंने पुलिस के पास एफआईआर भी कराया. मामले का हल नहीं निकलने पर सीनियर सिटीजन कपल आरबीआई ओम्बड्समैन के पास पहुंचे. वहां से भी सही रिस्पॉन्स नहीं मिलने के बाद उन्होंने कंज्यूमर कोर्ट जाने का फैसला कर लिया. पहले मामला तेलंगाना स्टेट कंज्यूमर कमिशन के पास गया, जो बाद में नेशनल कंज्यूमर डिस्पुट्स रिड्रेसल कमिशन यानी एनसीडीआरसी तक पहुंच गया.
6 साल की लड़ाई के बाद सफलता
एनसीडीआरसी और तेलंगाना स्टेट कंज्यूमर कमिशन दोनों ने सीनियर सिटीजन कपल के पक्ष में फैसला सुनाया. करीब 6 साल चली लंबी लड़ाई के बाद सीनियर सिटीजन कपल को तब राहत मिली, जब एनसीडीआरसी ने एसबीआई को हर्जाना भरने का आदेश दिया. एनसीडीआरसी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को कहा कि वह इस फ्रॉड के एवज में कपल को हर्जाने के रूप में 97 लाख रुपये का भुगतान करे.
इस कारण मानी गई बैंक की गड़बड़ी
दरअसल कपल ने अपने ड्राइवर को नेट बैंकिंग में सिर्फ डिटेल देखने (व्यू वनली) का एक्सेस दिया हुआ था. ड्राइवर ने नेट बैंकिंग क्रेडेंशियल की चोरी कर ली और उनका फोन एक्सेस कर अपने मोबाइल में ट्रांजेक्शन की फैसिलिटी को एक्टिवेट कर लिया. उसके बाद उसने एफडी को समय से पहले रिडीम कर लिया और पूरा पैसा ट्रांसफर करने के बाद भाग गया. कोर्ट ने माना कि इसमें एसबीआई की ओर से भी गड़बड़ी हुई, जिसने पर्याप्त वेरिफिकेशन के बिना व्यू वनली एक्सेस पर ट्रांजेक्शन की फैसिलटी को एक्टिवेट किया. इसी कारण उसे हर्जाना भरने के लिए कहा गया है.