ऐसे कैसे किसी का घर गिरा सकते हैं?' बुलडोजर एक्शन को लेकर सख्त टिप्पणी करने वाले जज कौन हैं, जो बन सकते हैं चीफ जस्टिस - AWAM AUR KHABAR

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ऐसे कैसे किसी का घर गिरा सकते हैं?' बुलडोजर एक्शन को लेकर सख्त टिप्पणी करने वाले जज कौन हैं, जो बन सकते हैं चीफ जस्टिस

 

जस्टिस बीआर गवई करीब पांच साल से और जस्टिस केवी विश्वनाथन 2023 से सुप्रीम कोर्ट के जज हैं. दोनों जजों की बेंच ने ही बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की थी.सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामाकृष्णन गवई और जस्टिस कल्पित वेंकटरमन विश्वनाथन ने सोमवार (2 सितंबर, 2024) को बुलडोजर एक्शन को लेकर कड़ी टिप्पणी की.बेंच ने कहा कि आरोपी होने पर किसी का घर कैसे गिरा सकते हैं, अगर कोई दोषी है तो भी ऐसा नहीं करना चाहिए. अगर कोई निर्माण गैरकानूनी है तो ऐसा कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए भी दिशा-निर्देशों का पालन होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इसके लिए गाइडलाइन जारी करेगा, जिसका पालन हर राज्य को करना होगा.
सुनवाई कर रहे जस्टिस केवी विश्वनाथन पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट के जज हैं. उनका जन्म 26 मई 1966 को तमिलनाडु के पोलाची नगर में हुआ. जस्टिस विश्वनाथन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पोलाची में ही की और फिर कोयंबटूर लॉ कॉलेज में एडमिशन ले लिया.
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने फर्स्ट रैंक से एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1988 में वकालत की प्रैक्टिस शुरु कर दी. उसके बाद वह दिल्ली में एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन के चैंबर से जुड़ गए.


जस्टिस केवी विश्वनाथन ने 1990 में सीनियर एडवोकेट और पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के साथ भी काम किया. 2009 में वह सीनियर एडवोकेट और 2013 में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बने. 19 मई 2023 में जस्टिस विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट के जज बने. वह दसवें वकील हैं जिन्हें बार से सीधे बेंच में एंट्री मिली. साथ ही वह सीजेआई बनने की लिस्ट में भी शामिल हैं.





बेंच के दूसरे जज भूषण रामाकृष्णन गवई का नाम भी चीफ जस्टिस बनने की लिस्ट में शामिल है. वह करीब पांच साल से सुप्रीम कोर्ट के जज हैं. जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती शहर में हुआ था. अगर सीनियॉरिटी प्रिंसिपल को फॉलो किया गया तो जस्टिस गवई 14 मई 2025 को चीफ जस्टिस बन सकते हैं.

जस्टिस बीआर गवई ने लॉ की प्रैक्टिस बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच से शुरु की और 1990 तक वहीं रहे. 14 नवंबर 2003 को वह बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में चुने गए और 12 नवंबर 2005 को परमानेंट जज बन गए. 24 मई 2019 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज चुने गए.

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