'चंदा दो धंधा लो', निर्मला सीतारमण पर FIR के बाद कांग्रेस ने की गिरफ्तारी की मांग - AWAM AUR KHABAR

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'चंदा दो धंधा लो', निर्मला सीतारमण पर FIR के बाद कांग्रेस ने की गिरफ्तारी की मांग

 

 FIR: कर्नाटक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद से देश में राजनीति गरमाई हुई है. बेंगलुरु की विशेष अदालत ने चुनावी बॉन्ड के जरिए उगाही की शिकायत पर FIR का आदेश दिया था. इसे मामले में कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनकी पार्टी का इस एफआईआर से कुछ लेना देना नही है, जिसने FIR की उससे कांग्रेस का कोई संबंध नहीं है.

'निर्मला सीतारमन खुद ये सब नहीं कर सकतीं'

पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तरफ की ओर इशारा करते हुए कांग्रेस नेता ने दावा किया, "सबको पता है कि निर्मला सीतारमण खुद से ये सब नहीं कर सकतीं." उन्होंने कहा, "ऐसे मामले में आरोपी को समन किया जाता है और बयान दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी होती है. इस एफआईआर में वित्त मंत्र निर्मला सीतारमण आरोपी नंबर एक हैं, अन्य व्यक्ति भी संबंधित धाराओं के तहत मामले में आरोपी हैं. इस FIR में नाम के साथ आंकड़े भी दर्ज हैं- जिसमें कुल आंकड़ा 8,000 करोड़ रुपए का है."

कांग्रेस महासिचव जयराम रमेश ने इसे लेकर कहा, "15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम गैर संवैधानिक है. इसके बाद 21 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट के दवाब में एसबीआई ने सारी जानकारी पब्लिश में डाली कि किसने कब और किससे खरीदा. बीजेपी सरकार चंदा दो धंधा लो प्रीपेड हो गया और दूसरा ठेका लो, चंदा दो ये पोस्टपेड हो गया."

सिंघवी का बीजेपी पर निशाना

कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "मीडिया ने पिछले एक साल में इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हुई कई सारी कहानियां, नाम और किस्से पब्लिश किए हैं,. जिनमें कई सारे तथ्य भी हैं."

  • मीडिया ने पिछले एक साल में इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हुई कई सारी कहानियां, नाम और किस्से पब्लिश किए हैं, जिनमें कई सारे तथ्य भी हैं.
  • कैसे किसी कंपनी/व्यक्ति ने कब और किसने इलेक्टोरल बॉण्ड लिया.
  • कई मामलों में पहले जांच एजेंसियों ने छापे मारे और फिर उन कंपनियों द्वारा इलेक्टोरल बॉण्ड लिया गया.
  • ऐसा भी देखा गया कि इलेक्टोरल बॉण्ड खरीदने के बाद उन मामलों में जांच धीमी हो गई.

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमने कई मामलों में यह भी देखा कि जिन कंपनियों का पेड-अप कैपिटल 100 करोड़ भी नहीं था, लेकिन उन्होंने 500 करोड़ के इलेक्टोरल बॉण्ड खरीदे थे.

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