सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (06 सितंबर) को आरजेडी की ओर से दायर उस याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें आरक्षण के संबंध में पटना हाई कोर्ट के फैसले की वैधता पर सवाल उठाया गया है. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र, बिहार सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया. साथ ही आरजेडी की याचिका को लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न करने का निर्देश दिया. अब आरजेडी के विधायक और पूर्व मंत्री इसराइल मंसूरी (Israil Mansuri) ने बड़ी बात कह दी है.
इसराइल मंसूरी ने शुक्रवार को अपने एक्स अकाउंट से लिखा, "सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बढ़ाए गए 65 प्रतिशत आरक्षण पर रोक मामले में केंद्र व नीतीश सरकार को नोटिस थमा दिया. अदालत का यह नोटिस एक तरह से इस बात पर मुहर लगाने के समान है कि बढ़े आरक्षण के मुद्दे पर राज्य और केंद्र की भूमिका संदिग्ध है! इस तरह अब यह तय सा हो गया है कि बिहार में 65 प्रतिशत बढ़ाए गए आरक्षण पर रोक के मामले में जो लकीर है उसके एक तरफ राजद है तो दूसरी तरफ भाजपा और जदयू!"
'नीतीश जी मोदी-शाह को खुश करने के लिए...'
अपने पोस्ट में ही आगे इसराइल मंसूरी ने लिखा, "जब तक नीतीश जी राजद के साथ थे, तब तक वह आरक्षण के पक्ष में जरूर थे क्योंकि उन पर राजद का दमदार प्रेशर था, लेकिन भाजपा की गोद में बैठते ही नीतीश जी मोदी-शाह को खुश करने के लिए जी हुजूरी करने की भूमिका में आ चुके हैं! पटना हाई कोर्ट में जब बढ़े हुए आरक्षण पर रोक लगाने की याचिका पर बहस हुई तो निश्चित तौर पर राज्य सरकार ने भाजपा को खुश करने के लिए अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा! नतीजा यह हुआ कि पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण संशोधन कानून पर रोक लगाने का फैसला सुना दिया!"
सड़क, सदन और अदालत में लड़ने का ऐलान
आरजेडी विधायक ने कहा कि अब बिहार और देश के नागरिक आश्वस्त हो चुके हैं कि दलितों, पिछड़ों व आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वाला अगर कोई योद्धा है तो वह तेजस्वी यादव हैं, कोई और नहीं. राष्ट्रीय जनता दल आरक्षण के मुद्दे को सड़क, सदन और अदालत तीनों मैदानों में लड़ेगा और जीतेगा. मतलब स्प्ष्ट है कि आरक्षण पर दोमुंही राजनीति करने वाली बीजेपी और बीजेपी की जी हुजूरी करने वाली जेडीयू जनता की नजरों में बेनकाब हो चुकी है.