मध्य प्रदेश में वनरक्षकों से 165 करोड़ की वसूली पर रोक लग गई है. वन विभाग ने आदेश जारी करते हुए रोक लगाने के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में मध्य प्रदेश के सभी जिलों को पत्र भेज दिया गया है. इस पत्र में कहा गया है कि पिछले 8 सालों में वेतन के रूप में दी गई अधिक राशि को लेकर गणना करते हुए दस्तावेज तैयार करें, लेकिन अभी वसूली नहीं की जाएगी.
वन विभाग की ओर से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कमलिका मोहंता की ओर से जारी किए गए आदेश में उल्लेख किया गया है कि वसूली को पूरी तरह रोक दिया जाए. वन विभाग की ओर से वनरक्षकों को 5200 के स्थान पर 5680 पे बैंड देकर पिछले 8 सालों में 6000 से ज्यादा कर्मचारियों को अधिक वेतन दे दिया गया था.
यह राशि 165 करोड़ के आसपास है. मध्य प्रदेश के नर्मदा पुरम और भोपाल को छोड़कर शेष सभी जिलों में इस प्रकार की गड़बड़ी चल रही थी. वित्त विभाग ने पूरे मामले में आपत्ति उठाते हुए कहा था कि वनरक्षकों की सीधी भर्ती का पद नहीं है, इसलिए उन्हें 5680 पे बैंड नहीं दिया जा सकता है.
इसके बाद उनके वेतन के निर्धारण को लेकर सवाल खड़े हुए. यह पूरी गड़बड़ी साल 2006 से 2014 के बीच भर्ती हुए वनरक्षकों की सैलरी में हुई है. इस मामले में वसूली के आदेश भी जारी हो गए थे, जिसे लेकर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए थे.
विभाग की लापरवाही से वनरक्षक परेशान
विभाग की गड़बड़ी के कारण वनरक्षकों के पास अधिक वेतन पहुंच गया, जिसकी वसूली भी शुरू हो गई थी. फिलहाल वसूली पर रोक लगा दी गई है. इससे वनरक्षकों ने राहत की सांस ली है. वनरक्षकों का कहना था कि विभाग की गड़बड़ी से उनके पास अधिक राशि पहुंची है. ऐसे में वसूली पर रोक लगनी चाहिए. वन विभाग ने वसूली पर रोक लगा दी है. इससे वनरक्षक काफी खुश हैं.