उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमे मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट भी शामिल है. कुंदरकी की मुस्लिम बहुल सीट पर AIMIM ने सोमवार को अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने यहां से मुस्लिम तुर्क प्रत्याशी हाफिज वारिस पर फिर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है.
हाफिज वारिस लंबे समय से ओवैसी की पार्टी से जुड़े हुए हैं. 2022 में भी उन्होंने AIMIM के टिकट पर कुंदरकी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था. उस समय ओवैसी के प्रत्याशी हाफिज वारिस को 14251 वोट मिले थे. हाफिज मोहम्मद वारिस कुंदरकी थाना क्षेत्र के गांव जैतवाड़ा के रहने वाले हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी उनके लिए 3 बार चुनाव प्रचार करने आए थे.
AIMIM के दांव से बढ़ी सपा की मुश्किल
हाफिज वारिस के चुनाव मैदान में आने से कुंदरकी सीट पर उपचुनाव के नतीजों में उलटफेर हो सकती है. इस बेल्ट में ओवैसी का पिछले एक दशक में कई बार आना रहा है. मैनाठेर, डींगरपुर और कुंदरकी की इस बेल्ट में ओवैसी के समर्थकों की अच्छी खासी तादाद है. ओवैसी की ओर से उम्मीदवार उतारे जाने के बाद सपा के लिए काफी मुश्किलें बढ़ गई हैं. बसपा ने भी यहां से मुस्लिम तुर्क प्रत्याशी रिफाकत उल्लाह उर्फ नेता छिद्दा को मैदान में उतारा है. वही आजाद समाज पार्टी ने यह से यहां से हाजी चांद बाबू को मैदान में उतारा है.
कुंदरकी सीट पर अब तक तीन राजनीतिक दलों की ओर से मुस्लिम प्रत्याशियों के नाम घोषित किए जा चुके हैं. इनमें से 2 तुर्क बिरादरी से हैं तो वहीं बसपा के हाजी चांद बाबू मुस्लिम मलिक (तेली) बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी भी इस सीट पर किसी मुस्लिम प्रत्याशी पर ही दांव लगा सकती है. इस रेस में सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन का नाम भी शामिल हैं.
कुंदरकी में तीन मुस्लिम उम्मीदवारों के आने से मुस्लिम मतों का विभाजन होता नजर आ रहा है. इसका फायदा बीजेपी को हो सकती है. अब देखना यह होगा कि 13 नवंबर को जनता किस पर भरोसा जताती है.