उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी ने पूरे शासन को पानी पिला दिया है. इस कर्मचारी को पिछले 6 महीनों से सैलरी नहीं मिलने बाद उसने शासन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास लीना जौहरी को कड़ी फटकार लगाई और 11 नवंबर से पहले उसकी सैलरी जारी करने का आदेश दिया. हाइकोर्ट ने प्रमुख सचिव के हलफनामे को खारिज करते हुए कहा आप अपने दायित्व का निर्वहन ठीक तरीके से नहीं कर पा रही है.
दरअसल बस्ती में रहने वाले सुधीर कुमार यादव की स्वास्थ्य विभाग में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना के अंतर्गत संविदा पर नियुक्ति की गई थी. तत्कालीन मुख्य सचिव ने दिनांक 8 जून 2023 को हब में प्रावधानों पदों के सापेक्ष ह्यूमन लिट्रेसी स्पेशलिस्ट के पद पर समायोजन किया गया. 2018 से जून 2023 तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार मानदेय दिया गया. लेकिन, समायोजन के बाद जुलाई 23 से मार्च 24 तक उपस्थिति के आधार पर महिला कल्याण विभाग ने वेतन का भुगतान किया.
याचिकाकर्ता की सैलरी रोकी
अप्रैल 24 से बिना किसी कारण सुधीर यादव की सैलरी रोक दी गई. जिससे व्यथित होकर उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया. 29 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए तीन सप्ताह के भीतर वेतन भुगतान करने का निर्देश दिए और कहा कि अगर किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाता तो डीएम, जिला कार्यक्रम अधिकारी, सीएमओ बस्ती व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करे. कोर्ट के आदेश पर भी उनका वेतन नहीं दिया गया.
शासन की ओर से कोर्ट में हलफ़नामा दिया गया जिस पर 26 सितंबर 2024 को फिर सुनवाई हुई और कोर्ट ने इस नाखुशी जताते हुए हलफनामे को नामंजूर कर दिया. कोर्ट ने महिला विकास विभाग को 4 अक्टूबर से पहले वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिए और कहा अगर ऐसा नहीं हुआ तो वेतन की रिकवरी के लिए न्यायिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी. लेकिन फिर भी याची का वेतन नहीं मिला.
कोर्ट ने लगाई विभाग को कड़ी फटकार
जिसके बाद 24 अक्टूबर को कोर्ट में फिर सुनवाई हुई और इस बार जस्टिस जेजे मुनीर ने शासन के रवैए पर कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने प्रमुख सचिव को कहा कि आप अपने कर्तव्य का निर्वहन ठीक से नहीं कर पा रही हैं, इसलिए कोई अन्य प्रमुख सचिव इस पूरे प्रकरण में हलफनामा लेकर अगली तारीख पर आए और सरकार का पक्ष रखे. जिस पर प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने हलफनामा देकर कहा कि याची की नियुक्ति अस्थाई थी और 31 मार्च 2019 के बाद नियुक्ति बढ़ाई नही गई है. इस लिए वेतन नही दिया जा सकता.
जिसकी विरोध करते हुए याची ने कहा कि इस संबंध में न उन्हें कोई सूचना दी गई और न ही संबंधित आदेश पारित किया गया. याची लगातार सेवा दे रहा है जिसकी उपस्थिति को मुख्य चिकित्साधिकारी बस्ती प्रमाणित करके सितंबर माह तक के वेतन भुगतान के लिए शासन को लेटर भी भेज चुके है. जिसके बाद कोर्ट ने दूसरे प्रमुख सचिव से इस मामले में हलफनामा दाखिल कर जवाब मांगा है कि सरकार बताए कि कर्मचारी के वेतन के भुगतान से संबंधित क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है.